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‘ हैप्पी एनीवरसरी...।’ इंद्र ने चाय की ट्रे साइड टेबल पर रखकर उसे आगोश में लेते हुए प्यार भरा चुंबन अंकित करते हुए कहा । ‘ सेम टू यू...।’ कामिनी ने भी उसी गर्मजोशी से प्रत्युत्तर दिया । पच्चीस ...

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लेखक के बारे में
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सुधा आदेश

शिक्षा बी.एस.सी.,एम.ए, बी.एड.,एम.एच.एम; (होमियो.) जन्म 8 फरवरी, 1955 , बरेली ( उत्तर प्रदेश ) गतिविधियाँ : लेखकीय कर्म में संलग्न रहने के साथ साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय । स्कूलों द्वारा आयोजित अंतर स्कूल वाद विवाद तथा काव्य प्रतियोगिताओं में निर्णायक के रूप में योगदान, रेडियो स्टेशन से काव्यपाठ का प्रसारण । प्रकाशन : अखिल भारतीय स्तर की पत्रिकाओं एवं अखबारों...नवनीत, सरिता, गृहशोभा, मुक्ता, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, वनिता, जागरण सखी, खनन भारती, नवभारत, लोकमत समाचार, दैनिक भास्कर, प्रभातखबर आदि में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन, अनेक संकलनों में कविताओं का समावेश । कहानी संग्रह -अनाम रिश्ते, माटी की सुगंध, किसी से न कहना, वीरान मन के खंडहर, आत्ममंथन, तलाश जारी है, सजा किसे मिली, जलजला, विश्वास का चीरहरण एवं अन्य कहानियाँ, एक टुकड़ा धूप । काव्य संग्रह- चेतना के स्वर यात्रा वृतांत- कुछ चित्र मन के कैनवास से उपन्यास- अंततः, अपने-अपने कारागृह सम्मान : - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच भारतवर्ष, दिल्ली द्वारा प्रतिभा रजत सम्मान से सम्मानित ( 2018 ) - मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच भारतवर्ष, दिल्ली द्वारा शतकवीर सम्मान से सम्मानित ( 2016 ) -साहित्यिक एवं सामाजिक प़ित्रका गुफ्तगू द्वारा महिला दिवस पर 2016 में ‘ सुभद्रा कुमारी चैहान ’ पुरस्कार से सम्मानित । -साहित्य सेवा के लिये मनसा पब्लिकेशन लखनऊ के द्वारा ‘ लोपामुद्रा सम्मान-2013 ’ से सम्मानित । -रेल मंत्रालय द्वारा आयोजित रेल यात्रा वृतांत पुरस्कार (2005.2006) में यात्रा वृत्तांत ‘ अनोखा एहसास ’ को प्रथम पुरस्कार । - अखिल भारतीय कविसभा, भूरुकुंडा हजारीबाग द्वारा साहित्य सेवा के लिये बच्चन-शशिकर स्मृति रत्न सम्मान 2005 । - दिल्ली प्रेस द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता 2002 में कहानी ‘कड़ुवा सच ’ के लिये सांत्वना पुरस्कार । - महिला संस्कार केन्द्र, नागपुर 1994 में आयोजित लेख प्रतियोगिता में लेख ‘ सुव्यवस्था घर की शोभा है ’ को प्रथम पुरस्कार । - सरस्वती पुस्तकालय, बलिया द्वारा 1968 में बालकवियों के लिये आयोजित प्रतियोगिता में कविता ‘ एक पुष्प ’ को सांत्वना पुरस्कार ।

समीक्षा
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    Sayam Bihari
    25 ജൂലൈ 2019
    जिन्दगी के इस जज्बे को सलाम करता हूँ ।सुधा जी ने अत्यंत ही खुबसूरती से जिन्दगी के इस रंग को अपने बिचारों की कुची से चमकाया है । उनके सकारत्मक बिचारों नेपुरो दृढ़ता से एक सशक्त संदेश दिया है । समाज आज भी अपने संकीर्ण मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है ।ऐसे में सारी विपरीत इस्थितियों के विरुद्ध एक नारी का डट कर खड़ा होना नारी सशक्तीकरण की दिशा में सशक्त मिसाल है । सुधा जी ने बड़ी कुशलता के साथ मर्यादित ढंग से प्रस्तुत किया है ।कहानी का प्रवाह अच्छा है और अंत तक पाठक को अपने प्रवाह में बहाए लिए जाता है । शब्दों का चयन सुन्दर है और प्रस्तुति मे लेखक की भावनाएँ अभिब्याक्त होती है । सुधा जी को बहुत बहुत बधाई ।शुभकामनाओं के साथ । सशक्त संदेश
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    12 ജൂണ്‍ 2018
    superb शब्द नहीं अभिव्यक्ति हेतु। ऐसे जीवनसाथी ,ऐसे बच्चे सबको मिलें। आमीन
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    Sayam Bihari
    25 ജൂലൈ 2019
    जिन्दगी के इस जज्बे को सलाम करता हूँ ।सुधा जी ने अत्यंत ही खुबसूरती से जिन्दगी के इस रंग को अपने बिचारों की कुची से चमकाया है । उनके सकारत्मक बिचारों नेपुरो दृढ़ता से एक सशक्त संदेश दिया है । समाज आज भी अपने संकीर्ण मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है ।ऐसे में सारी विपरीत इस्थितियों के विरुद्ध एक नारी का डट कर खड़ा होना नारी सशक्तीकरण की दिशा में सशक्त मिसाल है । सुधा जी ने बड़ी कुशलता के साथ मर्यादित ढंग से प्रस्तुत किया है ।कहानी का प्रवाह अच्छा है और अंत तक पाठक को अपने प्रवाह में बहाए लिए जाता है । शब्दों का चयन सुन्दर है और प्रस्तुति मे लेखक की भावनाएँ अभिब्याक्त होती है । सुधा जी को बहुत बहुत बधाई ।शुभकामनाओं के साथ । सशक्त संदेश
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    12 ജൂണ്‍ 2018
    superb शब्द नहीं अभिव्यक्ति हेतु। ऐसे जीवनसाथी ,ऐसे बच्चे सबको मिलें। आमीन