मुझे हमेशा से ही लोगों के interviews पढ़ना, सुनना और देखना बहुत पसंद रहा है। मेरे इस शौक ने मुझे हमेशा संभाला भी है क्योंकि वो कहते हैं न कि सारे experiment अगर खुद पर करेंगे तो जीवन कम पड़ जाएगा। हमें दूसरों के experience से भी सीखना चाहिए।
जब मैं करीब 15-16 साल की रही हूंगी तब एक बार अमिताभ बच्चन जी ने कौन बनेगा करोड़पति के
माध्यम से मुझसे कहा था (मुझसे, इसलिए कि मैंने उनकी बात ध्यान से सुनी थी) कि "अगर आपके जीवन में आपके मन का होता है तो अच्छा है लेकिन अगर नहीं होता है तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि तब भगवान के मन का होता है और भगवान हमारे लिए हमसे बेहतर सोचता है।" बस मैंने इस बात को गांठ बांध ली। वो दिन है और आज का दिन है मैंने कभी इस बात को ग़लत साबित होते नहीं देखा है।
एक बार किसी ने अपने interview में कहा था कि "या तो जीवन में कुछ लिखने लायक कर के जाओ या कुछ पढ़ने लायक लिख कर जाओ।"
बस इन्हीं दोनों विचारों को अपने जीवन में अपनाते और उतारते हुए जीवन रूपी कर्तव्य पथ पर चल रही हूं।
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