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सूतक

4.7
5400

बड़ी सी कोठी में कोहराम सा मचा था। सुबह तक सब ठीक था ,अचानक ह्रदय गति के रूकने से कोठी की मालकिन का देहावसन हो गया था। नातेदारों और बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।छोटी बेटी तो रोते-रोते चेतनालुप्त हो ...

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लेखक के बारे में
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डॉ.उपमा शर्मा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neetu Bhargav
    05 सितम्बर 2020
    जब भुख लगती हे तब को इं सुतक नजर नही आवा भुख से बडा कोई सु त क नही धन्यवाद
  • author
    Kamla Pareek
    30 जून 2021
    गरीबी से बडा और कोई सूतक नही ।इस को मिटाने की जरूरत है।
  • author
    Lalita Rana
    25 फ़रवरी 2021
    khane ki ahmiyat unse poocho jo bukhe pet sote h
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    Neetu Bhargav
    05 सितम्बर 2020
    जब भुख लगती हे तब को इं सुतक नजर नही आवा भुख से बडा कोई सु त क नही धन्यवाद
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    Kamla Pareek
    30 जून 2021
    गरीबी से बडा और कोई सूतक नही ।इस को मिटाने की जरूरत है।
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    Lalita Rana
    25 फ़रवरी 2021
    khane ki ahmiyat unse poocho jo bukhe pet sote h