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सुरखाब के पर

4.7
65

उसने  चहकते हुए घर में  कदम रखा। ड्राइंग रूम में कुछ नए लोगों को बैठे देखकर,  ठिठकी  ...फिर कुछ समझकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी।   पीछे से माँ आकर बोली," सबीना, वो अंगूरी रंग वाला सूट पहन कर तैयार ...

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लेखक के बारे में
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Farzana Irfan
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Firoz Dahiwala
    27 सितम्बर 2020
    suprb। आप की लेखिनी बहुत बढ़िया है। आकर्षक है। आज भी लोग बहु लेने नहीं मगर पैसे कमाने वाली गुड़िया और साथमे घर काम करने वाली नौकरानी समझते है और फिरभी उपकार करके शादी करते है।
  • author
    manju rohilla
    25 सितम्बर 2020
    शानदार रचना, दहेज़ लोभियों के लिए नौकरीपेशा लड़की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी होती है
  • author
    दीपक राय
    25 सितम्बर 2020
    आपने सही फरमाया....... सुरखाब के पर सा सुंदर तो यकीनन कोई भी नहीं.....
  • author
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    Firoz Dahiwala
    27 सितम्बर 2020
    suprb। आप की लेखिनी बहुत बढ़िया है। आकर्षक है। आज भी लोग बहु लेने नहीं मगर पैसे कमाने वाली गुड़िया और साथमे घर काम करने वाली नौकरानी समझते है और फिरभी उपकार करके शादी करते है।
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    manju rohilla
    25 सितम्बर 2020
    शानदार रचना, दहेज़ लोभियों के लिए नौकरीपेशा लड़की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी होती है
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    दीपक राय
    25 सितम्बर 2020
    आपने सही फरमाया....... सुरखाब के पर सा सुंदर तो यकीनन कोई भी नहीं.....