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सूरज की बिंदी से शुरू चाँद की बिंदी पर खत्म..

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भोर से साँझ सूरज की सिंदूरी - सुनहरी बिंदी से शुरू चाँद की रुपहली बिंदी पर खत्म एक औरत का जीवन। सूरज की बिंदी देखने की फ़ुरसत ही कहाँ ! सरहाने पर या माथे पर खुद की बिंदी और खुद को भी संभालती चल पड़ती ...

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लेखक के बारे में
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उपासना सियाग

उपासना सियाग  प्रकाशित रचनाएँ :      1 ) सरिता , सखी जागरण , दैनिक भास्कर और कई पत्र - पत्रिकाओं में कहानियाँ और कविताओं का प्रकाशन।       2 ) छह साँझा काव्य संग्रह और रश्मि प्रभा जी की पुस्तक में लेख ' औरत होना ही अपने आप में एक ताकत है '… का प्रकाशन।  पुरस्कार -सम्मान :-- 2011 का ब्लॉग रत्न अवार्ड , शोभना संस्था द्वारा।  अभिरुचियाँ :-- कहानी , कविता लिखने के साथ ही पढ़ने का भी शौक है।  शिक्षा : बी.एस.सी. (गृह विज्ञान ) महारानी कॉलेज जयपुर ( राजस्थान )  , ज्योतिष रत्न  ए.आई.ऍफ़.ए.एस.( AIFAS) दिल्ली। 

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    31 जनवरी 2021
    बहुत सुन्दर 👌👌👌👌👌
  • author
    रमेश पाली
    17 सितम्बर 2018
    bahut khoob
  • author
    RAHUL VARMAN "बिझार"
    02 फ़रवरी 2023
    aakarshak. ....
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    31 जनवरी 2021
    बहुत सुन्दर 👌👌👌👌👌
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    रमेश पाली
    17 सितम्बर 2018
    bahut khoob
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    RAHUL VARMAN "बिझार"
    02 फ़रवरी 2023
    aakarshak. ....