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सुराख वाले छप्पर

4.6
1985

ऑफ़िस से आकर सब काम निपटाते -निपटाते थक कर चूर हो गई थी वह. बस! बर्तन जमा कर दूध मे जामन लगाना शेष था. उसके हाथ तेजी से प्लेटफार्म साफ़ कर रहे थे.पसीने से तरबतर पीठ पर पड़ती उसकी नजर उसे चुभने लगी थी. ...

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Uma
    10 दिसम्बर 2023
    😥Excellent post on mother's relationship with children.
  • author
    Sonali Srivastava
    16 अगस्त 2020
    पीठ घुमाकर कौन सो गया था
  • author
    अरुण गुप्ता
    27 सितम्बर 2018
    सुन्दर लघुकथा के लिए साधुवाद !
  • author
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  • author
    Uma
    10 दिसम्बर 2023
    😥Excellent post on mother's relationship with children.
  • author
    Sonali Srivastava
    16 अगस्त 2020
    पीठ घुमाकर कौन सो गया था
  • author
    अरुण गुप्ता
    27 सितम्बर 2018
    सुन्दर लघुकथा के लिए साधुवाद !