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सुनो सबकी करो मन की

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आज आपको एक लघु कथा सुना रहा हूं गांव में बचपन से यह कथा सुनता हुआ बड़ा हुआ हूं एक किसान था वह अपने लड़के के साथ अपने गधे को लेकर शहर की तरफ जा रहा था पैदल ही तीनो लोग चले जा रहे थे शहर के कुछ ...

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लेखक के बारे में
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krishnakant shukla

मै ना ही कोई लेखक हूं और ना ही कोई कवि । मात्र लाकडाऊन के चलते खाली समय का सदुपयोग करते हुए कुछ सच घटनाए लिख रहे है । भाषाई त्रुटियो और प्रवाह तथा शैली की कसौटी पर ना कसते हुए ही देखिए ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Shukla Jha
    15 फ़रवरी 2023
    ye sahi h
  • author
    Ramesh Kumar
    17 सितम्बर 2022
  • author
    Vinita Shukla
    03 अक्टूबर 2020
    good
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  • author
    Shukla Jha
    15 फ़रवरी 2023
    ye sahi h
  • author
    Ramesh Kumar
    17 सितम्बर 2022
  • author
    Vinita Shukla
    03 अक्टूबर 2020
    good