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सुमिरण कौ अंग

4.5
596

कबीर कहता जात हूँ, सुणता है सब कोइ। राम कहें भला होइगा, नहिं तर भला न होइ॥1॥ कबीर कहै मैं कथि गया, कथि गया ब्रह्म महेस। राम नाँव सतसार है, सब काहू उपदेस॥2॥ तत तिलक तिहूँ लोक मैं, राम नाँव निज सार। जब ...

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लेखक के बारे में
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कबीर
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashu Singh
    04 जनवरी 2023
    कबीर दास जी की प्रासंगिकता उभर आई राम नाम का महत्व आज कबीर पंथियों को समझना चाहिए जय श्री राम
  • author
    Manjit Singh
    19 जून 2020
    excellent poetry. God bless you millions of times
  • author
    कुमार अभिनंदन
    16 जनवरी 2020
    सुंदर
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashu Singh
    04 जनवरी 2023
    कबीर दास जी की प्रासंगिकता उभर आई राम नाम का महत्व आज कबीर पंथियों को समझना चाहिए जय श्री राम
  • author
    Manjit Singh
    19 जून 2020
    excellent poetry. God bless you millions of times
  • author
    कुमार अभिनंदन
    16 जनवरी 2020
    सुंदर