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सुमन

4.6
15330

सुबह की धूप खिड़की से सीधा चहरे पर पड़ रही थी। कभी हाथ रख कर कभी तकिए से मुँह छुपा कर मैंने थोड़ी देर और सोने की कोशिश की पर एक बार नींद खुल जाए तो कहां इतनी जल्दी वापस आती है। सो मैं उनींदी सी ही उठ ...

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लेखक के बारे में
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nitin satsangi

मैं एक चित्रकार हूं l रंगों से जिस प्रकार केनवास पर पेंटिंग्स बनता हूं, वैस ही शब्दों के माध्यम से भी कुछ रचना मुझे पसंद है। भावों की अभिवयक्ति को में पेंटिंग्स , लिखकर या कभी गाकर व्यक्त करता हूं। छोटे से शहर आगरा से हूं। जीवन के हर क्षण का आनन्द लेता हूं। संगीत और चित्रकला, दोनों में सुकून तलाश करता हूं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    bal kishan
    16 सितम्बर 2018
    Bahut acchi kahani hai aaj ki sahi sthiti yahi hai log dikhte kuch hai or hakikat kuch or hi hoti hai 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    Babita Satsangi
    16 सितम्बर 2018
    Bahut achchi story h.... Ek ladki k sangharsh ki behatreen kahani h.... Aaj k samaaj ka aina h ye...... Owsome
  • author
    Saroj Saxena
    11 फ़रवरी 2019
    बहुत मार्मिक कहानी है।
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    bal kishan
    16 सितम्बर 2018
    Bahut acchi kahani hai aaj ki sahi sthiti yahi hai log dikhte kuch hai or hakikat kuch or hi hoti hai 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    Babita Satsangi
    16 सितम्बर 2018
    Bahut achchi story h.... Ek ladki k sangharsh ki behatreen kahani h.... Aaj k samaaj ka aina h ye...... Owsome
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    Saroj Saxena
    11 फ़रवरी 2019
    बहुत मार्मिक कहानी है।