साहित्य में वो स्थान मेरा नही है कि अपने बारे में लिखूं। वैसे भी जिनका एक स्वीकृत स्थान होता भी है वो भी क्यों अपने बारे में लिखते हैं, समझ नही आता।
लेखकीय विधाओं में सबसे ज्यादा फालतू की विधा मुझे आत्मकथा लगती है। आत्मकथा लिखने के लिए आत्म-मुग्ध होना जरूरी है और आत्म-मुग्ध व्यक्ति एक मानसिक रोगी होता है। कौन होना चाहेगा ऐसा बीमार ?
सैमुएल बैकेट से एक बार पूछा गया कि वो अपने चर्चित नाटक वेटिंग फ़ॉर गोडो के बारे में कुछ कहें तो उनका जवाब था.....मुझे जो कहना था, अपने नाटक में कह दिया है।
तो अगर बैकेट से व्यक्तिगत उनके बारे में पूछा जाता तो वो क्या जवाब देते, सहज ही समझा जा सकता है।
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