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हिन्दी

सुजान भगत

4.8
10219

सीधे-सादे किसान धन हाथ आते ही धर्म और कीर्ति की ओर झुकते हैं। दिव्य समाज की भाँति वे पहले अपने भोग-विलास की ओर नहीं दौड़ते। सुजान की खेती में कई साल से कंचन बरस रहा था। मेहनत तो गाँव के सभी किसान ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    Vivek Kumar Rajput
    03 डिसेंबर 2018
    समाज में व्याप्त एक बहुत बड़ी बुराई है, जो बाप अपना सर्वस्व झोंककर एक साम्राज्य खड़ा करता है उसके बेटे उसी को उसके अधिकारों से वंचित कर देते है और उसे एक लाचारी कि जिंदगी जीने की विवश कर देते हैं। समाज में ऐसी जागरूकता लाने की ओर मुंशी प्रेमचंद जी की यह बहुत ही बेहतरीन रचना है और ये भी दिखाया की बाप बाप होता है।
  • author
    @vi
    02 जानेवारी 2020
    प्रेमचन्द जी की कहानी के लिए समीक्षा लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसा है, जिसने भी यह कहानी प्रतिलिप पर डाली है उसका बहुत बहुत आभार ।
  • author
    Savita Ojha
    29 फेब्रुवारी 2020
    प्रेरणादायक कहानी मुंशी जी की रचनाएं बहुत ही बेहतरीन और प्रेरक होती है मुझे इनकी कहानियां बहुत ही बेहतरीन लगती है
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    Vivek Kumar Rajput
    03 डिसेंबर 2018
    समाज में व्याप्त एक बहुत बड़ी बुराई है, जो बाप अपना सर्वस्व झोंककर एक साम्राज्य खड़ा करता है उसके बेटे उसी को उसके अधिकारों से वंचित कर देते है और उसे एक लाचारी कि जिंदगी जीने की विवश कर देते हैं। समाज में ऐसी जागरूकता लाने की ओर मुंशी प्रेमचंद जी की यह बहुत ही बेहतरीन रचना है और ये भी दिखाया की बाप बाप होता है।
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    @vi
    02 जानेवारी 2020
    प्रेमचन्द जी की कहानी के लिए समीक्षा लिखना सूरज को दिया दिखाने जैसा है, जिसने भी यह कहानी प्रतिलिप पर डाली है उसका बहुत बहुत आभार ।
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    Savita Ojha
    29 फेब्रुवारी 2020
    प्रेरणादायक कहानी मुंशी जी की रचनाएं बहुत ही बेहतरीन और प्रेरक होती है मुझे इनकी कहानियां बहुत ही बेहतरीन लगती है