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सुहानी

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सुहानी रोज़ की तरह जूते का फीता बांधते हुए कहा कि" मां मैं जा रही हुं।" फिर पीठ पर बैंग टांगा और सायकिल लेकर निकल गई। कुछ दूर जाने पर उसने देखा कि एक हमउम्र लड़की हाथ में थैला लिए तेजी से जा रही है ...

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लेखक के बारे में
author
Rashmi Sinha
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Navdeep Kaur Bansal
    11 जून 2022
    very nice 👍👍 reality of today 😥
  • author
    Sangeeta Pathak
    11 जून 2022
    बहुत सुंदर लाजवाब कहानी
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  • author
    Navdeep Kaur Bansal
    11 जून 2022
    very nice 👍👍 reality of today 😥
  • author
    Sangeeta Pathak
    11 जून 2022
    बहुत सुंदर लाजवाब कहानी