मन्दिर आते जाते गोपाल बाबू अक्सर बगीचे के पास ठिठक जाते थे जो मन्दिर के रास्ते में पड़ता था। रंगबिरंगे सुन्दर फूल उन्हें जितना आकर्षित करते थे।वहाँ लगी तख्ती उनकी आँखों को उतना ही खटकती थी। न चाहते ...
मन्दिर आते जाते गोपाल बाबू अक्सर बगीचे के पास ठिठक जाते थे जो मन्दिर के रास्ते में पड़ता था। रंगबिरंगे सुन्दर फूल उन्हें जितना आकर्षित करते थे।वहाँ लगी तख्ती उनकी आँखों को उतना ही खटकती थी। न चाहते ...