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सच की परछाईं

4.6
1676

धुंध की चादर ओढ़े ठिठुरन भरी धुंधली सी सुबह जब सब अलसाये से मुहँ ढके देर तक बिस्तर पर पड़े रहने का मजा ले रहे होते है गरमा गरम चाय के साथ ..... लेकिन हमें तो उस सिकुड़ती ठंड में भी काम पर जाना ...

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लेखक के बारे में
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priti sharma
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विपिन शर्मा
    20 ਮਾਰਚ 2018
    वाकई सच के करीब।
  • author
    Priyanka Tiwari
    26 ਮਾਰਚ 2018
    Nice :)
  • author
    Dr. Deepa agrawal
    12 ਦਸੰਬਰ 2019
    very nice story...
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    विपिन शर्मा
    20 ਮਾਰਚ 2018
    वाकई सच के करीब।
  • author
    Priyanka Tiwari
    26 ਮਾਰਚ 2018
    Nice :)
  • author
    Dr. Deepa agrawal
    12 ਦਸੰਬਰ 2019
    very nice story...