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सच की परछाईं

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4.6

धुंध की चादर ओढ़े ठिठुरन भरी धुंधली सी सुबह जब सब अलसाये से मुहँ ढके देर तक बिस्तर पर पड़े रहने का मजा ले रहे होते है गरमा गरम चाय के साथ ..... लेकिन हमें तो उस सिकुड़ती ठंड में भी काम पर जाना ...