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हिन्दी

स्त्री.......

4.4
813

सिर्फ इसलिये कि , मैं एक स्त्री ? बहुत कुछ छुपाना चाहा है , ज़िन्दगी के पन्नों में , पर छिपता नहीं... बात अपने हिसाब की , किताब की है , उधार लिया भी अपनों से , उधार दिया भी अपनों ने , ( क़र्ज़ ...

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लेखक के बारे में
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सेमंत हरीश

पूर्व अधिकारी भारतीय सशस्त्र सेना एक यायावर फकीर / अनगढ़ शब्द चितेरा / गाता हूँ लिखता हूँ सात काव्य संग्रह प्रकाशित पाँच हिन्दी व दो अँग्रेजी में एक समंदर मीठा सा यहीं कहीं रेत में कुछ अनछुई ज़िंदगी बस यूँ ही कुछ अनदेखी ज़िंदगी  The Dancers My Lonesome Tours विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में समय समय पर रचनायें प्रकाशित सम्प्रति : जीवन दर्शन मार्गदर्शक (Counsellor/ Mentor) Project Management Specialist / ISO 27001-2005 Certified Lead Auditor (IT Processes)  सुरक्षा एवं कॉर्पोरेट सामाजिक प्रतिबद्धता दायित्व सलाहकार रूचि : साहित्य, संगीत, मानवशास्त्र, मनोविज्ञान, दर्शन, फोटोग्राफी  

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Himanshi Singh
    10 अगस्त 2020
    I have read your poetry, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.if u interested then ping me fast.
  • author
    S Vishnoi
    18 नवम्बर 2023
    बेहतरीन रचना। मेरी रचनाएँ-सिसकियाँ सुनी नहीं जाती हैं, लोग क्या कहेंगे, बचपन अवश्य पढें। आनंद आएगा।
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 नवम्बर 2022
    स्त्री की दमित इच्छाओं का सुन्दर प्रकटीकरण । हार्दिक साधुवाद
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    Himanshi Singh
    10 अगस्त 2020
    I have read your poetry, you are truly a great writer. We would like to give you a chance on behalf of our publication house.if u interested then ping me fast.
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    S Vishnoi
    18 नवम्बर 2023
    बेहतरीन रचना। मेरी रचनाएँ-सिसकियाँ सुनी नहीं जाती हैं, लोग क्या कहेंगे, बचपन अवश्य पढें। आनंद आएगा।
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    अरविन्द सिन्हा
    01 नवम्बर 2022
    स्त्री की दमित इच्छाओं का सुन्दर प्रकटीकरण । हार्दिक साधुवाद