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स्त्रीत्व मरता कब

4.2
12283

पुलिस अपने कामयाबी पर फूले नहीं समा रही थीं और नक्सली लड़कियां मंद- मंद मुस्करा, त्रियोचरित्र सपने बुन रही थीं | उन चंद क्षणो में हजारों सपने देख डाले होंगे उन्होंने |

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लेखक के बारे में
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सविता मिश्रा

हमारा नाम ही हमारी पहचान | ....भावों के खजाने से रचनाएँ यूँ ही आती रहेंगी , आप सब बस उन रचनाओं पर प्यार बेशुमार लुटाते रहिए | #सविता मिश्रा #अक्षजा

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Bp Vishwakarma
    26 अक्टूबर 2018
    इश्वर ने नर नारी के लिए अलग अलग कर्मभूमि बनाइ है नारी की सुकोमलता उसका सहज स्वभाव है उसे छीनकर हम अन्याय करते है
  • author
    Ajeet Kumar Singh
    14 जून 2021
    ggood
  • author
    12 जुलाई 2020
    bahut Sundar 👌💐
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  • author
    Bp Vishwakarma
    26 अक्टूबर 2018
    इश्वर ने नर नारी के लिए अलग अलग कर्मभूमि बनाइ है नारी की सुकोमलता उसका सहज स्वभाव है उसे छीनकर हम अन्याय करते है
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    Ajeet Kumar Singh
    14 जून 2021
    ggood
  • author
    12 जुलाई 2020
    bahut Sundar 👌💐