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स्थान परिवर्तन

4.7
212

स्थान परिवर्तन                            डा. प्रभात समीर  सुबह की चाय का प्याला थमाते हुए जयन्ती ने बड़ी सहजता से प्रतीक से कहा-‘प्रतीक ,मैं अब तुम्हारी माँ के साथ नहीं रह सकती। प्रतीक अखबार पढ़ ...

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लेखक के बारे में
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Javed Hussain
समीक्षा
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  • author
    Pradeep Varshney
    18 सितम्बर 2020
    थू है ऐसे पुत्र एवं पुत्र बधू पर अरे मां तो एक मंदिर होती है उसकी सेवा से बिरित हो जाना नरक समान है किंतु इसका भी प्रतिउत्तर इनको इनकी संतान देगी अवश्य देगी
  • author
    shubhra sharma
    17 सितम्बर 2020
    बेहतरीन रचना ।आँसू आ गए ।कथानक,भाषा,भाव..सभी उत्कृष्ट ।इस कहानी को अवश्य पढ़ें ।बुज़ुर्गों की ज़िंदगी का बहुत बड़ा सच ।
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    Pradeep Varshney
    18 सितम्बर 2020
    थू है ऐसे पुत्र एवं पुत्र बधू पर अरे मां तो एक मंदिर होती है उसकी सेवा से बिरित हो जाना नरक समान है किंतु इसका भी प्रतिउत्तर इनको इनकी संतान देगी अवश्य देगी
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    shubhra sharma
    17 सितम्बर 2020
    बेहतरीन रचना ।आँसू आ गए ।कथानक,भाषा,भाव..सभी उत्कृष्ट ।इस कहानी को अवश्य पढ़ें ।बुज़ुर्गों की ज़िंदगी का बहुत बड़ा सच ।