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सृष्टि चक्र

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सृष्टि चक्र सृजन हुआ जब इस धरा पर शिल्पकार के स्नेहिल हृदय में केवल मैं था,,,, मैं ही मैं पर मैं ठहरा अबोध न मैं की चिन्ता न तुम का बोध निकले पांव पालने से जब अठखेलियां चित्तभरी तब मैं अबोध तब भी न ...

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लेखक के बारे में
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Prakash Sahu

आप में से ही एक,,,, आम इंसान जो प्रकृति के हर रंग को देखना, समझना चाहता है

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    PRIYA S PRASAD "प्रियायश"
    08 सितम्बर 2018
    उम्दा 😍
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    PRIYA S PRASAD "प्रियायश"
    08 सितम्बर 2018
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