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स्पंदन

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संवेदनाओं से अब बचती हूं, जिह्वा अर्थपूर्ण हो सदैव, यही मनोवृत्ति रखती हूं। चित्त में आशाओं को भर , विरह वेदना से उभर , मैं हृदय स्पंदन करती हूं। आत्मनिष्ठा भर दृढ़ता से, शख्सियत से सख्त ...

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लेखक के बारे में
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नेहा यादव

लोगों की बातों से वाकिफ़ थी मैं फिर भी मुझसे तन्हा रहा ना गया। -नेहा यादव

समीक्षा
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    10 दिसम्बर 2019
    जो प्रेम अंकुरित बीज है, राधा,मीरा,भेद में विलीन... बहुत बढ़िया।
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    शैलेश सिंह "शैल"
    10 दिसम्बर 2019
    बेहद खूबसूरत,, सुंदर रचना
  • author
    बहुत सुंदर सार्थक सृजन
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    10 दिसम्बर 2019
    जो प्रेम अंकुरित बीज है, राधा,मीरा,भेद में विलीन... बहुत बढ़िया।
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    शैलेश सिंह "शैल"
    10 दिसम्बर 2019
    बेहद खूबसूरत,, सुंदर रचना
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    बहुत सुंदर सार्थक सृजन