बस यूं ही चल दिया राहों में लगा के पंख अपनी बाहों में बस यूं ही, बस यूं ही ।। खुली-खुली ये दिशाएं लगती हैं कम ही सोती ये आंखें रातों में भी जगती हैं बस यूं ही , बस यूँ ही ।। खिलखिलाती हँसी खुशी ...
क्यों खुद से दूर हो कर खुद को ही सज़ा दूँ,
दुनिया को बहुत जान लिया अब खुद को जान लूँ,
सारा वक्त मेरा अब मेरे लिए ही है,
अपनी ही खोज में लगा हूँ।
Whatsapp me on: 8894000856
[email protected]
सारांश
क्यों खुद से दूर हो कर खुद को ही सज़ा दूँ,
दुनिया को बहुत जान लिया अब खुद को जान लूँ,
सारा वक्त मेरा अब मेरे लिए ही है,
अपनी ही खोज में लगा हूँ।
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रिपोर्ट की समस्या
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