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सोनबाई और बगुला

2.7
2168

एक थी सोनबाई। बड़ी सुन्दर थी। एक बार सोनबाई अपनी सहेलियों के साथ मिट्टी लेने गई। जहां सोनबाई खोदती, वहां सोना निकलता और जहां उसकी सहेलियां खोदतीं, वहां मिट्टी निकलती। यह देखकर सब सहेलियों के मन में ...

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अज्ञात
समीक्षा
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  • author
    प्रिया गर्ग
    08 सितम्बर 2016
    यह कहानी बाल साहित्य के संग्रह में शामिल है| कहानी के घटनाओं और पात्रों को ध्यान में रखते हुए कहा जाए तो यह एक काल्पनिक है| काल्पनिक कहानी का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों की कल्पनाशक्ति का विकास करना भी होता है| इस कहानी की पहली 2 लाइनें बच्चों को चोंकती ज़रूर है परन्तु ये कहानी ऐसे नहीं है की उन्हें बाँध के रख सके| कहानी का आरंभ अच्छा है परन्तु कहानी में मनोरंजक मध्य और अंत का अभाव है| घटनाओं और पात्रों का रूप और संबंध भी भली-भांति उभर कर नही आता है|
  • author
    25 फ़रवरी 2020
    कहानी का आरम्भ लोक कथाओं से प्रेरित और रुचिकर है पर आगे की कथा अपूर्ण लग रही है ।
  • author
    Usha Lodhi "आशु"
    17 जून 2020
    कहानी अच्छी थी लेकिन ऐसे अचानक से अजीब सा अंत कैसे आपको अंत के बारे में स्पष्ट करना चाहिए था
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    प्रिया गर्ग
    08 सितम्बर 2016
    यह कहानी बाल साहित्य के संग्रह में शामिल है| कहानी के घटनाओं और पात्रों को ध्यान में रखते हुए कहा जाए तो यह एक काल्पनिक है| काल्पनिक कहानी का उद्देश्य मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों की कल्पनाशक्ति का विकास करना भी होता है| इस कहानी की पहली 2 लाइनें बच्चों को चोंकती ज़रूर है परन्तु ये कहानी ऐसे नहीं है की उन्हें बाँध के रख सके| कहानी का आरंभ अच्छा है परन्तु कहानी में मनोरंजक मध्य और अंत का अभाव है| घटनाओं और पात्रों का रूप और संबंध भी भली-भांति उभर कर नही आता है|
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    25 फ़रवरी 2020
    कहानी का आरम्भ लोक कथाओं से प्रेरित और रुचिकर है पर आगे की कथा अपूर्ण लग रही है ।
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    Usha Lodhi "आशु"
    17 जून 2020
    कहानी अच्छी थी लेकिन ऐसे अचानक से अजीब सा अंत कैसे आपको अंत के बारे में स्पष्ट करना चाहिए था