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सोफासाई

4.1
1410

सामाजिक कहानी जिसमे एक परिवार की वास्तविक स्थिति को दर्शाया गया है जिसमे पति का मजाक उड़ाया जाता है जबकि उसके पीछे छिपे त्याग को परिवार नजरअंदाज कर रहा

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लेखक के बारे में
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Devendra Kumar Mishra

पत्र पत्रिकाओं को पढ़ना,पढ़कर अपने भावो,विचारो को कलम बद्ध करना मेरी रूचि है। लेकिन सामाजिक गतिविधियों में अपना सहयोग देना मेरी पहली प्राथमिकता है। व्यस्त रहो मस्त रहो जीवन का मूल मन्त्र है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vaibhav Mishra
    07 अप्रैल 2018
    good
  • author
    मुकेश जोशी
    08 सितम्बर 2018
    गज्जब 👌
  • author
    किरन मिश्र "मधु"
    06 दिसम्बर 2018
    मिश्रा जी बहुत खूब , रचना के लिय बधाई
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  • author
    Vaibhav Mishra
    07 अप्रैल 2018
    good
  • author
    मुकेश जोशी
    08 सितम्बर 2018
    गज्जब 👌
  • author
    किरन मिश्र "मधु"
    06 दिसम्बर 2018
    मिश्रा जी बहुत खूब , रचना के लिय बधाई