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स्नेह निमंत्रण

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भेज रही हूं स्नेह निमंत्रण कर लो तुम स्वीकार जग में विपदा आन पड़ी प्रभु लेलो तुम अवतार कलयुग का प्रकोप अब सर चढ़ के बोल रहा झूठ पांव पसार रहा सत्य  लाचारहो रहा। स्त्रीयों की दीन दशा प्रभु ...

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लेखक के बारे में
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Diव्या पAL

एक गृहणी का सपना कभी खत्म नहीं होता बस थोड़ा रुक जाता है ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ruchika Neema
    01 सितम्बर 2024
    दिल को छू लिया आपकी रचना ने, ईश्वर ने हर नारी को एक शक्ति प्रदान की है पर वो अपनी इस शक्ति को नही पहचानती है। क्युकी वो अपने को कमतर समझती है। यदि वो खुद की शक्ति को जान जाए और ये पहचान उसके अपने ही उसे करा सकते है। अगर नारी एक नई जिंदगी को जन्म दे सकती है तो पापियों को मार भी सकती है वो होगा तब जब एक स्त्री दूसरी स्त्री का दर्द समझ सकती है। पर अधिकतर जगह यही देखा जाता है.. एक स्त्री दूसरी स्त्री की हिम्मत को तोड़ देती है.. बहुत कम होता है वो एक दूसरे को समझती है। जिस दिन स्त्री ने स्त्री का साथ देना सिख लिया.. उस दिन किसी में ताकत नहीं की वो उसके साथ इतना क्रूर काम कर सके। ईश्वर भी यही कहता है में उसी का साथ देता हूं जो खुद पर विश्वास करे। वो हर जगह मदद को नही आ सकता है। हमे ही खुद की मदद करना होगी। बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने सीस🙏👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
  • author
    Kapil Nagrale
    01 सितम्बर 2024
    बहुत ही सुन्दर भक्ति भाव से सजी लाजवाब प्रस्तुति but यह बताओ मैंने सुना है किस्मत भगवान लिखता है फिर मासूस बच्ची के किस्मत में बचपन में ही बलात्कार लिखनेवाला कोन हैं ?
  • author
    Neelam Mallah
    01 सितम्बर 2024
    आज के समय में यह हर नारी के आत्मा की चीत्कार है, करुण पुकार है.... मेरी ओर से भी यही प्रार्थना है कि प्रभु आपकी प्रार्थना सुन ले जय श्री कृष्णा! 🙏
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    Ruchika Neema
    01 सितम्बर 2024
    दिल को छू लिया आपकी रचना ने, ईश्वर ने हर नारी को एक शक्ति प्रदान की है पर वो अपनी इस शक्ति को नही पहचानती है। क्युकी वो अपने को कमतर समझती है। यदि वो खुद की शक्ति को जान जाए और ये पहचान उसके अपने ही उसे करा सकते है। अगर नारी एक नई जिंदगी को जन्म दे सकती है तो पापियों को मार भी सकती है वो होगा तब जब एक स्त्री दूसरी स्त्री का दर्द समझ सकती है। पर अधिकतर जगह यही देखा जाता है.. एक स्त्री दूसरी स्त्री की हिम्मत को तोड़ देती है.. बहुत कम होता है वो एक दूसरे को समझती है। जिस दिन स्त्री ने स्त्री का साथ देना सिख लिया.. उस दिन किसी में ताकत नहीं की वो उसके साथ इतना क्रूर काम कर सके। ईश्वर भी यही कहता है में उसी का साथ देता हूं जो खुद पर विश्वास करे। वो हर जगह मदद को नही आ सकता है। हमे ही खुद की मदद करना होगी। बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने सीस🙏👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
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    Kapil Nagrale
    01 सितम्बर 2024
    बहुत ही सुन्दर भक्ति भाव से सजी लाजवाब प्रस्तुति but यह बताओ मैंने सुना है किस्मत भगवान लिखता है फिर मासूस बच्ची के किस्मत में बचपन में ही बलात्कार लिखनेवाला कोन हैं ?
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    Neelam Mallah
    01 सितम्बर 2024
    आज के समय में यह हर नारी के आत्मा की चीत्कार है, करुण पुकार है.... मेरी ओर से भी यही प्रार्थना है कि प्रभु आपकी प्रार्थना सुन ले जय श्री कृष्णा! 🙏