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स्मृति शेष है -1 (गद्य काव्य)

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__________________________________________ जीवन बिखर गया, न वह सँध्याऐं रहीं न सँध्याओं में मित्रों के संग गुनगुनाये गीतों की पन्क्तियों का स्मरण रहा, न प्रियजनों का सानिध्य रहा, न शीतल पवन में झूमते ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    योगेंद्र
    05 मार्च 2022
    उच्च स्तरीय सृजन। कवि ने अपनी भाव यात्रा में मानव के अंतर्मन का कोना झांका है। इतिहास बनना इतिहास बनाना दोनों ही एक नए युग को सृजित करने की तरह हैं।🙏
  • author
    04 मार्च 2022
    बहुत मार्मिक शब्दचित्र है यह!! इतिहास और स्मृतियों की सटीक विवेचना. प्रभावी लेखन हेतु बहुत बधाई एवं साधुवाद आपको 💐
  • author
    Madhavi Sharma "Aparajita"
    04 मार्च 2022
    बेहद भावपूर्ण लेखन,,,,
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    योगेंद्र
    05 मार्च 2022
    उच्च स्तरीय सृजन। कवि ने अपनी भाव यात्रा में मानव के अंतर्मन का कोना झांका है। इतिहास बनना इतिहास बनाना दोनों ही एक नए युग को सृजित करने की तरह हैं।🙏
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    04 मार्च 2022
    बहुत मार्मिक शब्दचित्र है यह!! इतिहास और स्मृतियों की सटीक विवेचना. प्रभावी लेखन हेतु बहुत बधाई एवं साधुवाद आपको 💐
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    Madhavi Sharma "Aparajita"
    04 मार्च 2022
    बेहद भावपूर्ण लेखन,,,,