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हिन्दी

स्मृति का पुजारी

4.6
2638

महाशय होरीलाल की पत्नी का जब से देहान्त हुआ वह एक तरह से दुनिया से विरक्त हो गये हैं। यों रोज कचहरी जाते हैं अब भी उनकी वकालत बुरी नहीं है। मित्रों से राह-रस्म भी रखते हैं, मेलों-तमाशों में भी जाते ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anju Gautam
    08 अप्रैल 2018
    nice story
  • author
    Digvendra pratap Singh
    11 दिसम्बर 2022
    jab daag lag jaye to fir prem kaisa 👍👍
  • author
    Nimisha Verma "Babli"
    16 अगस्त 2019
    प्रेमचंद की कहानियाँ मानव मनोविज्ञान के अदभुत कोनो को छूती है,कथा सम्राट की ये कहानी प्रेम का एक नया रूप प्रस्तुत करती है
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    Anju Gautam
    08 अप्रैल 2018
    nice story
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    Digvendra pratap Singh
    11 दिसम्बर 2022
    jab daag lag jaye to fir prem kaisa 👍👍
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    Nimisha Verma "Babli"
    16 अगस्त 2019
    प्रेमचंद की कहानियाँ मानव मनोविज्ञान के अदभुत कोनो को छूती है,कथा सम्राट की ये कहानी प्रेम का एक नया रूप प्रस्तुत करती है