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सियाह हाशिए

4.0
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करामात लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किए। लोग डर के मारे लूटा हुआ माल रात के अँधेरे में बाहर फेंकने लगे; कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौका पाकर अपने से अलहदा कर दिया, ...

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लेखक के बारे में
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सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो ,( जन्म:11 मई, 1912, समराला, पंजाब; मृत्यु: 18 जनवरी, 1955, लाहौर) कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    28 मई 2018
    जिस भी बेवकूफ ने ये पोस्ट की है, कम से कम हर लघुकथा का टाइटल तो अलग अलग लिखता, सब कचरा कर दिया एक साथ लिख कर
  • author
    Deep
    18 मई 2017
    मंटो की कहानीयां पहली बार पढी । लग रहा था मानो राम गोपाल वर्मा की मिनीमलीस्टीक मुवी हो। बहुत ही सटीक और हिंसा से भरपूर...मगर दिल को छु लेनेवाली । कभी कभी कलाकारों की रचनाओ में समाज का आईना दिखता है । यह ईन्सानों की क्रुरता ही परछाई है जो स्याह बन कर कलम से उभरी है। धन्यवाद मंटो ।
  • author
    Aasim Beg "मिर्ज़ा"
    03 जनवरी 2018
    बंटवारे उन डरावनी यादों को जिस अंदाज से मंटो साहब ने बयां किया है वो दिल के टुकड़े टुकड़े कर देता है। अल्लाह तआला मंटो साहब को बेहतर जज़ा दे।
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    28 मई 2018
    जिस भी बेवकूफ ने ये पोस्ट की है, कम से कम हर लघुकथा का टाइटल तो अलग अलग लिखता, सब कचरा कर दिया एक साथ लिख कर
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    Deep
    18 मई 2017
    मंटो की कहानीयां पहली बार पढी । लग रहा था मानो राम गोपाल वर्मा की मिनीमलीस्टीक मुवी हो। बहुत ही सटीक और हिंसा से भरपूर...मगर दिल को छु लेनेवाली । कभी कभी कलाकारों की रचनाओ में समाज का आईना दिखता है । यह ईन्सानों की क्रुरता ही परछाई है जो स्याह बन कर कलम से उभरी है। धन्यवाद मंटो ।
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    Aasim Beg "मिर्ज़ा"
    03 जनवरी 2018
    बंटवारे उन डरावनी यादों को जिस अंदाज से मंटो साहब ने बयां किया है वो दिल के टुकड़े टुकड़े कर देता है। अल्लाह तआला मंटो साहब को बेहतर जज़ा दे।