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सिर्फ़ काली लड़कियां

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53010

मेरी प्यारी बहन अन्नी आज तुझे हमसे बिछड़े हुए पूरे अट्ठाईस बरस हो गए, अगर तू अब होती तो देख पाती कि देह के रंग के कोई विशेष मायने नहीं होते। तेरे जाने के बरस भर बाद, जब मेधा जन्मी तो मुझे लगा जैसे तू ...

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लेखक के बारे में
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निर्देश निधि

नाम - निर्देश निधि , जन्म-3 जून, शिक्षा - एम फिल (इतिहास) लेखन विधा – कहानी ,कविता,संस्मरण,समसामयिक लेख। विभिन्न स्तरीय पत्र - पत्रिकाओं जैसे "अमरउजाला”, “जनसत्ता”, “दैनिक जागरण” ,”पंजाब केसरी”,”कादंबिनी” ,‘हंस’,‘पाखी’,‘कथाक्रम’,‘कथा’ (मार्कण्डेय(“ “कृति ओर” , “ इंद्रप्रस्थ भारती,” “निकट” (अरब इमारत), “नई धारा,” ‘अभिनव इमरोज,’ ‘उद्भावना’,‘परिंदे’ , ‘विपाशा’, ‘द्वीपलहरी’,‘सम्बोधन’ ‘अविराम’, ‘विज्ञान गरिमा सिंधु’ ‘सरिता’ ,’पूर्वकथन’, ‘बुलंदप्रभा’, ‘गाथांतर’, “सृजन से”,“सम्प्रेषण”, “किरण वार्ता”,”यथावत” ‘बिंदिया,’अट्टहास’, जनक्षेत्र, विश्वगाथा आदि अनेक पत्रिकाओं में कवितायें लेख,कहानियाँ,संस्मरण,लघुकथाएँ,आदि प्रकाशित। एक कहानी संग्रह “झांनवाद्दन” प्रकाशित । आकाशवाणी से निरंतर रचनाएँ प्रसारित। पर्यावरण पर लिखी एक कविता ”विनती” हिन्दी पाठ्यक्रम में सम्मिलित । विभिन्न स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में रेखाचित्र प्रकाशित कई कहानी और कविता संकलनों में कहानियाँ और कविताएं प्रकाशित । वर्तमान मेँ – ‘बुलंदप्रभा’ त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका मेँ उपसंपादक नगर पालिका बुलंदशहर की त्रैमासिक पत्रिका ”प्रगति” का सम्पादन एक सामूहिक काव्य संग्रह ” "परिवर्तन का सम्पादन । साहित्यिक गतिविधियों और , जन कल्याणकारी संस्थाओं में सक्रिय ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Seema Anand
    21 ജൂലൈ 2018
    oops! this is my story. लगता है कि मेरे जीवन को ही लिखा गया है बस मैंने अन्नी की तरह हार नही मानी, सबसे लड़कर, सब कुछ सह कर उच्च शिक्षा ली और अपने पैरों पर खड़ी हुई।
  • author
    smita
    30 ജൂണ്‍ 2017
    it brings tears in my eyes.. it is harsh reality of our society...
  • author
    DR RAJENDRA SINGH
    27 ജൂലൈ 2018
    साधुवाद निधि जी उत्कृष्ट रचना के लिए।कुछ लोगों के लिए बेटी अगर सुन्दर नहीं है तो वह एक अनचाहा बोझ ही रह जाती है और आने वाली बिभिन्न समस्याओं का केन्द्र बन कर रह जाती है।आपने सत्य को आभास करवाया है "सूरत" नहीं "सीरत"भी ब्यक्तिव में निखार ला सकती है ।
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    Seema Anand
    21 ജൂലൈ 2018
    oops! this is my story. लगता है कि मेरे जीवन को ही लिखा गया है बस मैंने अन्नी की तरह हार नही मानी, सबसे लड़कर, सब कुछ सह कर उच्च शिक्षा ली और अपने पैरों पर खड़ी हुई।
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    smita
    30 ജൂണ്‍ 2017
    it brings tears in my eyes.. it is harsh reality of our society...
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    DR RAJENDRA SINGH
    27 ജൂലൈ 2018
    साधुवाद निधि जी उत्कृष्ट रचना के लिए।कुछ लोगों के लिए बेटी अगर सुन्दर नहीं है तो वह एक अनचाहा बोझ ही रह जाती है और आने वाली बिभिन्न समस्याओं का केन्द्र बन कर रह जाती है।आपने सत्य को आभास करवाया है "सूरत" नहीं "सीरत"भी ब्यक्तिव में निखार ला सकती है ।