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सिर से पानी निकल गया

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बहुत सहा अब मैं ना सहूंगी , सिर से पानी निकल गया । सहन करने की मर्यादा के , हद से भी ऊपर ही हो गया ।। तुमने दिल की रानी बनाकर , नौकरानी घर की बना दिया । अपना घर तो मैंने संभाला , तुमने दिल में ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति " भारत गौरव " उपाधि प्राप्त पांच पुस्तकों के लेखक मेरा हैदराबाद में ही निवास है । ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा । क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ? शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    digvijay thakur
    04 జనవరి 2021
    बहुत marmik aur sach likha hai.👍👍 "एक गिलास जहरीला पानी" इसी विषय पर मेरी रचना पढ़े
  • author
    Sneh Lata Pandey "स्नेह"
    04 జనవరి 2021
    bahut khoobsurat tarike se ek patni ki vyatha ko likha hai aapne 👌👌👌👌
  • author
    Anurag Singh
    04 జనవరి 2021
    Uttam rachna 🙏
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  • author
    digvijay thakur
    04 జనవరి 2021
    बहुत marmik aur sach likha hai.👍👍 "एक गिलास जहरीला पानी" इसी विषय पर मेरी रचना पढ़े
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    Sneh Lata Pandey "स्नेह"
    04 జనవరి 2021
    bahut khoobsurat tarike se ek patni ki vyatha ko likha hai aapne 👌👌👌👌
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    Anurag Singh
    04 జనవరి 2021
    Uttam rachna 🙏