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सिपहिया

4.3
24487

अरे ओ लल्लन की बहू देख तेरे नाम की चिट्ठी आयी है |” कुएं की देहरी से पानी भरते समय सुंदर सी लड़की ने अपनी कजरारी आँखों से पीछे मुड़कर देखा कि किसमें इतनी हिम्मत आ गयी कि जो उसके ससुर का नाम इस तरह ...

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लेखक के बारे में
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नीतू मुकुल

1. रचनाकार का पूरा नाम -- नीतू मुकुल 2. पिता का नाम--श्री प्रभु दयाल खरे 3. माता का नाम-- श्रीमती कमला खरे 4. पति का नाम-- डॉ श्रीपति वर्मा 5 शिक्षा / व्यवसाय--एम्.ए ( राज नीति शास्त्र ) ,/---- 6 . प्रकाशन विवरण-–लगभग दो दर्जन कहानिया प्रकाशित भारत-भारती ( ऑस्ट्रेलिया ),साहित्य-कुञ्ज (कनाडा),कादम्बनी,गृहलक्ष्मी,गृहशोभा,वनिता,सरस सलिल,होम मेकर,आह जिन्दगी,सरिता, वीमेन ओं टॉप, नारी शोभा, दैनिक भास्कर अन्य उपलब्धियां ...... कहानी संग्रह “ऐसा प्यार कहां” प्रकाशित तीन साझा संग्रह प्रकाशित सम्मान -- हिन्दी सेवी सम्मान , लघुकथा श्री सम्मान आकाशवाणी इंदौर, जयपुर से कहानियों का प्रसारण. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में लगभग दो दर्ज़न से अधिक कहानियों का प्रकाशन. मध्य प्रदेश के दैनिक अखबारों में लघु कथाओं का प्रकाशन.(दैनिक भास्कर , सुबह सवेरे ) अभिरुचि... स्त्री विमर्श और स्त्री चेतना के सन्दर्भ में चिन्तन एवं लेखन तथा संगीत गायन

समीक्षा
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    Srvilla Batesar
    16 मार्च 2019
    बहुत सुन्दर रचना, बस आपसे एक चूक हो गयी बियर वाली, क्योकि बियर एक बार खोलने के बाद खराब हो जाती है..😊😊
  • author
    Umesh Chand Gupta
    25 जुलाई 2021
    राम राम। ऐसा लगता है कि पुलिस और फौज में काम करने वाले देश के सैनिकों में अपने सामने केवल दुश्मन ही नज़र आते हैं और वे सारे रिश्ते नाते भूल कर अपनों से भी दुश्मन जैसा व्यवहार कर बैठते हैं, परिणाम चाहे जो भी हो, फिर भी पिता के समझाने से जल्दी सद्बुद्धि आ गयी और घर बिखरने से बच गया।
  • author
    किशोर दिवसे
    19 मई 2020
    सिपहिया एक अच्छी कहानी है। पारिवारिक मसले पर बुने कथानक में संदेह के बाद सुखान्त अच्छा लगा। लिखती रहिये
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    Srvilla Batesar
    16 मार्च 2019
    बहुत सुन्दर रचना, बस आपसे एक चूक हो गयी बियर वाली, क्योकि बियर एक बार खोलने के बाद खराब हो जाती है..😊😊
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    Umesh Chand Gupta
    25 जुलाई 2021
    राम राम। ऐसा लगता है कि पुलिस और फौज में काम करने वाले देश के सैनिकों में अपने सामने केवल दुश्मन ही नज़र आते हैं और वे सारे रिश्ते नाते भूल कर अपनों से भी दुश्मन जैसा व्यवहार कर बैठते हैं, परिणाम चाहे जो भी हो, फिर भी पिता के समझाने से जल्दी सद्बुद्धि आ गयी और घर बिखरने से बच गया।
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    किशोर दिवसे
    19 मई 2020
    सिपहिया एक अच्छी कहानी है। पारिवारिक मसले पर बुने कथानक में संदेह के बाद सुखान्त अच्छा लगा। लिखती रहिये