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साईन बोर्ड

4.2
19780

लॉ के नए विद्यार्थियों के स्वागत में दी जा रही यह लॉ कॉलेज की फ्रेशर पार्टी थी। सभी लड़कियां बला की खूबसूरत लग रहीं थीं। कुछ ने ग्लैमरस दिखने की कोशिश में वेस्टर्न कपड़ों का चुनाव किया था। लड़कियों ...

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लेखक के बारे में
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योगिता यादव

जन्म : 18 जून 1981, दिल्लीशिक्षा : एम.ए. (राजनीति शास्‍त्र, हिंदी)कृति : भारतीय ज्ञानपीठ से 'क्लीन चिटÓ (कहानी संग्रह)पुरस्कार : कहानी संग्रह 'क्लीन चिटÓ पर भारतीय ज्ञानपीठ का आठवां नवलेखन पुरस्कार। कहानी 'झीनी झीनी बिनी रे चदरियाÓ पर कलमकार अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता का द्वितीय पुरस्कार।जम्मू के विशेष सांस्कृतिक अध्ययन पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जूनियर फैलोशिप।पिछले 15 वर्ष से सक्रिय पत्रकारिता में। वर्ष 2004 से हिंदी में कविताओं एवं कहानियों का लेखन। रेडियो, दूरदर्शन के साथ ही कई महत्वपूर्ण मंचों पर कविता एवं कहानी पाठ। हंस, प्रगतिशील वसुधा, नया ज्ञानोदय, कथाक्रम, अनहद, पर्वत राग, जनसत्ता, नई दुनिया, शीराजा आदि पत्र-पत्रिकाओं में कहानियों के प्रकाशन के अलावा कृत्या, जानकीपुल, पहलीबार, स्वयंसिद्धा, आउटलुक आदि वेब पत्रिकाओं में भी रचनाओं का प्रकाशन।स्त्री रचनाकारों के समूह 'स्त्री सृजनÓ की संस्थापक।युवा हिंदी लेखक संघ, जम्मू की सचिव।संप्रति: दैनिक जागरण, जम्मू

समीक्षा
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  • author
    Akanksha Dikshit
    03 सितम्बर 2018
    क्षमा कीजियेगा मेरे हिसाब से जो प्रेमी/प्रेमिका धर्म परिवर्तन कराए बिना अपनाये ना प्रेम तो वही समाप्त हो गया।कहानी हमे अच्छी नही लगी उसके बहुत से कारण है।सच्चाई से कोसो दूर।कोई मुसलमान लड़की किसी हिंदू से शादी कर ले और घरवाले शांत रहे असम्भव।दूसरी बात एक लॉ करने वाली लड़की इतनी बेवकूफ कि अपनी पढ़ाई छोड़ कर अनिश्चित जिन्दगी जीने चल दी।
  • author
    Pankajj Awasthi
    16 जून 2018
    अंतर्द्वन्द का उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण । सर्वश्रेष्ठ पंक्ति, " ये परवरिश के वो निशान थे जो तमाम पाखण्ड के बावजूद भी न मिट पाये थे । "
  • author
    कोमल राजपूत
    17 मार्च 2018
    अधिकतर कहानियां किसी हिन्दू लड़की के मुस्लिम धर्म में विवाह की पढी है और हमेशा एक नकारात्मकता का बोध होता है उन्हें पढ़कर।।। पर आपकी रचना में एक मुस्लिम लड़की के अंतरधर्म विवाह की विडंबना को उजागर करते हुए अन्त में सब कुछ ठीक हो जाता है यह सकारात्मकता सराहनीय है।
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    Akanksha Dikshit
    03 सितम्बर 2018
    क्षमा कीजियेगा मेरे हिसाब से जो प्रेमी/प्रेमिका धर्म परिवर्तन कराए बिना अपनाये ना प्रेम तो वही समाप्त हो गया।कहानी हमे अच्छी नही लगी उसके बहुत से कारण है।सच्चाई से कोसो दूर।कोई मुसलमान लड़की किसी हिंदू से शादी कर ले और घरवाले शांत रहे असम्भव।दूसरी बात एक लॉ करने वाली लड़की इतनी बेवकूफ कि अपनी पढ़ाई छोड़ कर अनिश्चित जिन्दगी जीने चल दी।
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    Pankajj Awasthi
    16 जून 2018
    अंतर्द्वन्द का उत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण । सर्वश्रेष्ठ पंक्ति, " ये परवरिश के वो निशान थे जो तमाम पाखण्ड के बावजूद भी न मिट पाये थे । "
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    कोमल राजपूत
    17 मार्च 2018
    अधिकतर कहानियां किसी हिन्दू लड़की के मुस्लिम धर्म में विवाह की पढी है और हमेशा एक नकारात्मकता का बोध होता है उन्हें पढ़कर।।। पर आपकी रचना में एक मुस्लिम लड़की के अंतरधर्म विवाह की विडंबना को उजागर करते हुए अन्त में सब कुछ ठीक हो जाता है यह सकारात्मकता सराहनीय है।