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सिद्ध गीत-शिल्पी डॉ॰ महेन्द्रभटनागर * समीक्षक : डॉ॰ हरिश्चन्द्र वर्मा

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लेखक के बारे में

डॉ महेंद्र भटनागर ( जन्म 26 जून,1926) भारतीय समाजार्थिक-राष्ट्रीय-राजनीतिक चेतना-सम्पन्न द्वि-भाषिक (हिन्दी एवं अंग्रेजी) कवि एवं लेखक हैं। ये सन् 1946 से प्रगतिवादी काव्यान्दोलन से सक्रिय रूप से सम्बद्ध प्रगतिशील हिन्दी कविता के द्वितीय उत्थान के चर्चित हस्ताक्षरों में से एक हैं।प्रकाशित रचनाएँ कुल 20 काव्य-कृतियाँ प्रकाशित। कविताएँ अंग्रेज़ी, फ्रेंच, चेक एवं अधिकांश भारतीय भाषाओं में अनूदित । अधिकांश साहित्य 'महेंद्रभटनागर-समग्र' के छह-खंडों में [तीन खण्ड कविता के, दो खण्ड आलोचना के, एक खण्ड विविध लेखन का], 'प्रेमचद-समग्र' पृथक से प्रकाशित। एवं मात्र काव्य-सृष्टि 'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' के तीन खंडों में पुन: प्रकाशित।'महेंद्रभटनागर की कविता-गंगा' खंड : 1 / तारों के गीत, विहान, अन्तराल, अभियान, बदलता युग, टूटती शृंखलाएँ खंड : 2/नयी चेतना, मधुरिमा, जिजीविषा, संतरण, संवर्त खंड : 3/संकल्प, जूझते हुए, जीने के लिए, आहत युग, अनुभूत-क्षण, मृत्यु-बोध : जीवन-बोध, राग-संवेदन DR. MAHENDRA BHATNAGARRetd. Professor110, BalwantNagar, Gandhi Road,GWALIOR — 474 002 [M.P.] INDIAE-Mail : [email protected] www.kavitakosh.org/mbhatnagar.htmhttp://www.swargvibha.in/ebooks/bookwriters/mbhatnagar.html http://www.pustakaalay.blogspot.in/http://dmbpoeminmusic.blogspot.com https://plus.google.com/117769626873959555863/posts

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    Arivesh Kumar Rathor
    23 नवम्बर 2022
    Nice
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