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शुक्रिया_ज़िंदगी

4.3
11486

वर्ष २०१४ #‎ग्वालियर के लिए निकल चुका था | लखनऊ स्टेशन के प्लेटफॉर्म नं० २ पर मैं अपनी ट्रेन का इंतज़ार कर रहा था | अचानक घोषणा हुयी की ट्रेन १११२३ बरौनी-ग्वालियर मेल अपने निर्धारित समय से २ घंटे ...

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लेखक के बारे में

न मैं कवि हूँ और न कोई शब्दों का खिलाडी. मुझे अपनी भावनाओ को व्यक्त करने के लिए चंद शब्दों की जरुरत पड़ती हैं और मेरे शब्दकोष का अल्पज्ञान कभी मुझे कोसता भी हैं मगर मैं जैसे तैसे शब्दों को पिरो कर अपनी तरफ से अपने उदगार व्यक्त करता हूँ। कभी वो कविता की शक्ल अख्तियार कर लेती हैं तो कभी वो शब्दों का ताना बाना. कभी कुछ लोग पढ़ लेते हैं और कभी कुछ लोग देख कर बकवास करार दे देते हैं......!! मगर मैं भी जिद्दी हूँ भावनाओ के उफान में बहकर फिर कुछ न कुछ लिख ही लेता हूँ बिना इस बात की परवाह किये की ये सिर्फ मेरे तक ही सीमित रह जाएँगी या कुछ लोगो को पसंद आएँगी., वास्तव में, मेरा सफ़र हैं इस खूबसूरत ज़िन्दगी का -जो भगवान ने हमें दी हैं....!!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sunita Jangra
    12 जून 2020
    kisi ki bewfai suke kisi or ka pyar ek pvitr bandn me bandh gya bhot bdi smjhdari dikhi h
  • author
    Summi Patel
    14 जनवरी 2018
    pyar nhin,zarurat baki hain..,pyar to ho chuka👌 ultimately zabrdst..👌keep it up..nyc..
  • author
    Endless
    24 मई 2018
    nice story.....👍👍👍
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  • author
    Sunita Jangra
    12 जून 2020
    kisi ki bewfai suke kisi or ka pyar ek pvitr bandn me bandh gya bhot bdi smjhdari dikhi h
  • author
    Summi Patel
    14 जनवरी 2018
    pyar nhin,zarurat baki hain..,pyar to ho chuka👌 ultimately zabrdst..👌keep it up..nyc..
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    Endless
    24 मई 2018
    nice story.....👍👍👍