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श्रमेव जयते (नवगीत)

4.9
43

श्रम ही जीवन है

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लेखक के बारे में
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Shourabh Prabhat

मेरी तकदीर को बदल देंगे मेरे बुलंद इरादे मेरी किस्मत नहीं मोहताज मेरे हाथों की लकीरों की !!!

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhusudan Shrivastava "मधु"
    07 मई 2020
    सुंदर शब्द संयोजन।। बहुत बधाई।।
  • author
    07 मई 2020
    छंदबद्धता में थोड़ा ध्यान और दीजिये सौरभ भाई। भाव बहुत अच्छा देते है। 16-14 भी ठीक है। लेकिन जिस छंद में हैं उसकी मापनी विधिवत देखिए। नवगीत में भी छंद, लय पूरी तरह फॉलो होता है , जैसा गीत में होता है। निवेदन मात्र।
  • author
    07 मई 2020
    वाह! भैया आप तो नवगीत सम्राट हो गए हैं। 💐💐💐💐💐💐बहुत ही खूबसूरत नवगीत रचते हैं। भाषा और शब्द चयन कमाल का। पढ़कर मन हर्षित हो जाता है।👏👏👏👏👏👏
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    Madhusudan Shrivastava "मधु"
    07 मई 2020
    सुंदर शब्द संयोजन।। बहुत बधाई।।
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    07 मई 2020
    छंदबद्धता में थोड़ा ध्यान और दीजिये सौरभ भाई। भाव बहुत अच्छा देते है। 16-14 भी ठीक है। लेकिन जिस छंद में हैं उसकी मापनी विधिवत देखिए। नवगीत में भी छंद, लय पूरी तरह फॉलो होता है , जैसा गीत में होता है। निवेदन मात्र।
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    07 मई 2020
    वाह! भैया आप तो नवगीत सम्राट हो गए हैं। 💐💐💐💐💐💐बहुत ही खूबसूरत नवगीत रचते हैं। भाषा और शब्द चयन कमाल का। पढ़कर मन हर्षित हो जाता है।👏👏👏👏👏👏