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श्राद्ध कर्म (Shraddh Karm)

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माथे का पसीना अपने दुपट्टे से पोछते हुये मीनू किचन से बाहर निकाल कर आई और लिविंग रूम अपने सोफे पर धम्म से बैठ गई थकान से पूरा शरीर दर्द कर रहा था उसका, सितंबर का महीना था और पितृ पक्ष चल रहे थे आज ...

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लेखक के बारे में

mai manu Giri Goswami I am teacher gola gokran nath district kheri Lakhimpur up se belong karti hun mujhe pratilipi ki story read karna and likhna bahut pasand h h aur treval karna .songs sunna. kooking karna .sad logo ke bahut close rahna unse baaten karna accha lagta hai

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 अक्टूबर 2024
    छोटी सी कहानी के माध्यम से आपने बहुत गहरी बात लिख दी! सच है, कि जीतेजी वृद्ध मां बाप या सास ससुर की सेवा नही की जाती, और मरने के पश्चात उनके लिए छप्पन भोग बनाये जाते हैं। बहुत अच्छा सन्देश देती कहानी...
  • author
    06 अक्टूबर 2024
    सुंदर लिखा है
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    06 अक्टूबर 2024
    छोटी सी कहानी के माध्यम से आपने बहुत गहरी बात लिख दी! सच है, कि जीतेजी वृद्ध मां बाप या सास ससुर की सेवा नही की जाती, और मरने के पश्चात उनके लिए छप्पन भोग बनाये जाते हैं। बहुत अच्छा सन्देश देती कहानी...
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    06 अक्टूबर 2024
    सुंदर लिखा है