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लघुकथा- सुख

3.8
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लघुकथा

वह जिस सुख की चाहत में यह सब कुछ कर रही थी , वह सुख उसे मिला या नहीं ?

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लेखक के बारे में

    जन्म-        26 जनवरी’ 1965         पेशा -            सहायक शिक्षक         शौक-        अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा-    मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथसाथ लघुकथाएं व क्षणिका तथा हाइकू . शिक्षा-    एमए ( हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र,  इतिहास ) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा . समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिषत अंक के साथ अपनी बैच में प्रथम . रचना प्रकाशन-    सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, समाजकल्याण , बालभारती, वेबदुनिया, चौथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विषेष लेखन-    चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाषन-    लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, चतुराई धरी रह गई.प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार-    साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकू , हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). jजयविजय सम्मान २०१५ प्राप्त.  

समीक्षा
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  • author
    19 सितम्बर 2018
    ओमप्रकाश जी आदाब बहुत ही अच्छी व सच्ची घटना का खूबसूरत चित्रण किया हैं कहानी नही समाज की सच्चाई है
  • author
    Dr Deepayan Choudhury
    29 सितम्बर 2018
    सही कथन है , सुख का आधार पैसा नहीं है
  • author
    18 अगस्त 2018
    यह भी जीवन का एक रंग (बदरंग ही सही) है
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    19 सितम्बर 2018
    ओमप्रकाश जी आदाब बहुत ही अच्छी व सच्ची घटना का खूबसूरत चित्रण किया हैं कहानी नही समाज की सच्चाई है
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    Dr Deepayan Choudhury
    29 सितम्बर 2018
    सही कथन है , सुख का आधार पैसा नहीं है
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    18 अगस्त 2018
    यह भी जीवन का एक रंग (बदरंग ही सही) है