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होली

लघुकथालघु कथा
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4.9

आज उम्र की इस देहलीज पर, याद आ गई वो होली, बचपन वाली, जब भेजा था तुमने मुझे एक ख़त छोटे से बच्चे के हाथ जो मुझ तक पहुंचते पहुंचते भीग गया था गुलाल से, कुछ हर्फ थे बिखरे बिखरे, जिन्हें शायद महसूस ...