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4.2
342

खुद सी लगती है वह खामोश लड़की, जो किसी रचनाकार की रेखाओं में होती है - बाह्य बोलता प्रतीत होता है, अंतर की ख़ामोशी का अनुमान सम्भव नहीं - अनुमानित श्रृंखला से बहुत दूर रहा मेरा गंतव्य, बिल्कुल अज्ञात ...

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लेखक के बारे में
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रश्मि प्रभा

एक नाम से बढ़कर जीवन अनुभव होता है. एक ही नाम तो कितनों के होते हैं, नाम की सार्थकता सकारात्मक जीवन के मनोबल से होती है, हवाओं का रूख जो बदले सार्थक परिणाम के लिए, असली परिचय वही होता है ... पर मांगते हैं सब सांसारिक परिचय, तो यह है एक छोटा सा परिचय मेरा आपके बीच - जन्म तिथि - 13 फरवरी , 1958 जन्म स्थान - सीतामढ़ी शिक्षा- स्नातक (इतिहास प्रतिष्ठा) भाषाज्ञान-हिंदी,अंग्रेजी पारिवारिक परिचय माँ - श्रीमती सरस्वती प्रसाद (कवि पन्त की मानस पुत्री) पिता - स्वर्गीय रामचंद्र प्रसाद प्रकाशित कृतियाँ काव्य-संग्रह: शब्दों का रिश्ता (2010), अनुत्तरित (2011), महाभिनिष्क्रमण से निर्वाण तक (2012), खुद की तलाश (2012) चैतन्य (2013)मेरा आत्मचिंतन (2012), एक पल (2012) ... संपादन:अनमोल संचयन (2010), अनुगूँज (2011), परिक्रमा (2011), एक साँस मेरी (2012), खामोश, खामोशी और हम (2012), बालार्क (2013), एक थी तरु (2014) वटवृक्ष (साहित्यिक त्रैमासिक एवं दैनिक वेब पत्रिका)-2011 से 2012 सम्मान: परिकल्पना ब्लॉगोत्सव द्वारा वर्ष 2010 की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री का सम्मान। पत्रिका ‘द संडे इंडियन’ द्वारा तैयार हिंदी की 111 लेखिकाओं की सूची में नाम शामिल। परिकल्पना ब्लॉगर दशक सम्मान - 2003-2012 शमशेर जन्मशती काव्य-सम्मान - 2011 अंतर्राष्ट्रीय हिंदी कविता प्रतियोगिता 2013 भौगोलिक क्षेत्र 5 भारत - प्रथम स्थान प्राप्त भोजपुरी फीचर फिल्म साई मोरे बाबा की कहानीकार, गीतकार ई-मेल [email protected] http://lifeteacheseverything.blogspot.in/ संपर्क - 9579122103

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neelima Sharma Nivia "निविया"
    13 अक्टूबर 2015
    आप के लिखे शब्द हमेशा  प्रेरणा देते आये हैं . कविता के विभिन्न आयाम कैसे होते आपको पढ़कर सीखा हैं  | शब्द शब्द अनूठी  अभिव्यक्ति  ..
  • author
    04 अगस्त 2024
    पढ़कर अच्छा लगा कि काव्य का वास्तविक रूप आज भी मुखर है, वर्ना इस यथार्थवादी युग में रचनाएं अक्सर यथार्थ से जुदा सिर्फ आकर्षण से प्रेरित मालूम पड़ती हैं।
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का बहुत अल्प ज्ञान दर्शाती कविता ।नितांत सारहीन व अप्रासांगिक ।
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    Neelima Sharma Nivia "निविया"
    13 अक्टूबर 2015
    आप के लिखे शब्द हमेशा  प्रेरणा देते आये हैं . कविता के विभिन्न आयाम कैसे होते आपको पढ़कर सीखा हैं  | शब्द शब्द अनूठी  अभिव्यक्ति  ..
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    04 अगस्त 2024
    पढ़कर अच्छा लगा कि काव्य का वास्तविक रूप आज भी मुखर है, वर्ना इस यथार्थवादी युग में रचनाएं अक्सर यथार्थ से जुदा सिर्फ आकर्षण से प्रेरित मालूम पड़ती हैं।
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    Satyendra Kumar Upadhyay
    15 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का बहुत अल्प ज्ञान दर्शाती कविता ।नितांत सारहीन व अप्रासांगिक ।