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शायद

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ग़लतियो से जो सीखते हैं शायद मैं वो नहीं.. जो दिमाग़ की सुनते हैं शायद मैं वो नहीं.. झारने सा मीठा बनने की चाहत नही मुझ मैं.. पर सागर सा खरा हो जाऊं शायद मैं वो नही.. लगा शायद कुछ के दिल मे बसता हू ...

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लेखक के बारे में
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parveen

जिसे चाहो.. उससे कुछ मत चाहो..

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    tanishka bhola
    01 नवम्बर 2019
    very nice...
  • author
    Rudrakshi Sharma
    24 जनवरी 2022
    nice one
  • author
    Praveen Sharma
    01 नवम्बर 2019
    Altimate
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  • author
    tanishka bhola
    01 नवम्बर 2019
    very nice...
  • author
    Rudrakshi Sharma
    24 जनवरी 2022
    nice one
  • author
    Praveen Sharma
    01 नवम्बर 2019
    Altimate