आज हम सबने फादर्स डे तो मना लिया.....सबने अपने व्हाट्सएप और फेसबुक पर अपने पिता जी की फ़ोटो के साथ उन्हें याद किया....मैंने भी किया..चुकी दुनिया रोज एक नए तरीके से बदलती जा रही है....पता नहीं ये ...
आज पद ,प्रतिष्ठा, मान,सम्मान के आगे मानवीय संबंध धूलधूस रित हो रहे हैं।पैसा पैसा यही लक्ष्य हो गया है जीवन का।बढते वृद्धाश्रम इसका साक्षात उदाहरण। नित्य त्वमेव माता चपिता त्वमेव की संस्कृति में मदर्स,फादर्स डे कुछ अटपटा लगता है।
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आज पद ,प्रतिष्ठा, मान,सम्मान के आगे मानवीय संबंध धूलधूस रित हो रहे हैं।पैसा पैसा यही लक्ष्य हो गया है जीवन का।बढते वृद्धाश्रम इसका साक्षात उदाहरण। नित्य त्वमेव माता चपिता त्वमेव की संस्कृति में मदर्स,फादर्स डे कुछ अटपटा लगता है।
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