pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शरारत

4.5
7280

फिर भी ना जाने क्यों उसे दूसरों को परेशान करने में कितना मजा आता था। पढ़ाई में अच्छा होते हुए भी तपस की कम्प्लेन मानो रोज की ही बात हो गई थी। बात हद से ज्यादा बढ़ जाने पर उसके माता-पिता को प्रिंसिपल ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra Singh
    01 सितम्बर 2021
    जिस क्षण अपनी ग़लती का अहसास हो जाता है वही क्षण जीवन परिवर्तन का क्षण बन जाता है और वह क्षण अपरिवर्तनीय होता है। मानसिक परिवर्तन को दर्शाती एक प्यारी सी कहानी।
  • author
    Enigma "[email protected]"
    27 जून 2019
    शब्द नही हैं मेरे पास ... Hats off to you dear. अपने बच्चों को इसे जरूर पढ़ाऊंगा ताकि कुछ सीख सकें।
  • author
    यशवी आर्या
    25 जनवरी 2022
    कुछ कहानियां कितनी सीधी सी होती हैं, फिर भी बहुत बड़ी सीख दे जाती है👏👏🙏💜
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra Singh
    01 सितम्बर 2021
    जिस क्षण अपनी ग़लती का अहसास हो जाता है वही क्षण जीवन परिवर्तन का क्षण बन जाता है और वह क्षण अपरिवर्तनीय होता है। मानसिक परिवर्तन को दर्शाती एक प्यारी सी कहानी।
  • author
    Enigma "[email protected]"
    27 जून 2019
    शब्द नही हैं मेरे पास ... Hats off to you dear. अपने बच्चों को इसे जरूर पढ़ाऊंगा ताकि कुछ सीख सकें।
  • author
    यशवी आर्या
    25 जनवरी 2022
    कुछ कहानियां कितनी सीधी सी होती हैं, फिर भी बहुत बड़ी सीख दे जाती है👏👏🙏💜