pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शरद ऋतु

5
17

शरद ऋतु का आगमन बड़ा विचित्र सा कहीं रज़ाई को धूप दिखाने की फ़िक्र तो कहीं ठिठुरती रातों में सिर छिपाने की फ़िक्र कहीं चाय की गर्म गर्म चुस्कियां दिल को सुकून दे रहीं तो कहीं कम्पन करते हाथ ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Kamini Varshney

जगत के रंग क्या देखू, तेरा दीदार काफ़ी है। राधे राधे जी 🌹🙏

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    डॉ रेनु सिंह
    01 డిసెంబరు 2020
    बहुत सही चित्रण किया है।ऋतु एक ही है लेकिन सबको स्थिति के अनुसत अलग अलग अनुभव हो रहा है।
  • author
    श्वेता विजय mishra
    01 డిసెంబరు 2020
    बहुत ही बेहतरीन शानदार और सटीक पंक्तियों के साथ यह रचना लिखी आपने
  • author
    jayshankar prasad
    01 డిసెంబరు 2020
    सचित्र चित्रण की है आपने आदरणीया मैडम जी
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    डॉ रेनु सिंह
    01 డిసెంబరు 2020
    बहुत सही चित्रण किया है।ऋतु एक ही है लेकिन सबको स्थिति के अनुसत अलग अलग अनुभव हो रहा है।
  • author
    श्वेता विजय mishra
    01 డిసెంబరు 2020
    बहुत ही बेहतरीन शानदार और सटीक पंक्तियों के साथ यह रचना लिखी आपने
  • author
    jayshankar prasad
    01 డిసెంబరు 2020
    सचित्र चित्रण की है आपने आदरणीया मैडम जी