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शक़

4.3
18003

नारी का तन उपजाऊ होता है तो मानव का मन , हंसी आ रही है ना, स्त्री शरीर में अगर बीज पड़े तो नई ज़िन्दगी जनम लेती है , अगर मानव मन में बीज पड़े तो शक का ऐसा पौधा जन्म लेता है जिसकी जडें पीपल से भी गहरी ...

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लेखक के बारे में
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सोनल रस्तोगी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kishwar Anjum
    05 अप्रैल 2020
    कहानी अच्छी है, मगर आदमी अगर शक कर बैठा तो उससे बाहर नहीं निकलता, बहुत कम अपवाद होते हैं।
  • author
    shivanee
    14 जुलाई 2020
    shayad aisa ant kahaniyo me hi hota h vastvikta me nhi👍
  • author
    sunil
    11 जून 2020
    कहानी अच्छी है लेकिन शक का कीड़ा इतनी आसानी से मरता नही है
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    Kishwar Anjum
    05 अप्रैल 2020
    कहानी अच्छी है, मगर आदमी अगर शक कर बैठा तो उससे बाहर नहीं निकलता, बहुत कम अपवाद होते हैं।
  • author
    shivanee
    14 जुलाई 2020
    shayad aisa ant kahaniyo me hi hota h vastvikta me nhi👍
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    sunil
    11 जून 2020
    कहानी अच्छी है लेकिन शक का कीड़ा इतनी आसानी से मरता नही है