अकेले रात भर उस अजनबी शहर में मेरी याद तेरे सिरहाने बैठकर तुझे जगाये रखती है. हर पल ,पल पल करवट बदल कर खामोश बंद निगाहों से ताका करते हो तुम अपने सिरहाने को कुछ कहते नही बनता चुप रहते भी नही पर ...
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
सारांश
नीलिमा शर्मा
कोई ख़ुशबू उदास करती है कहानी संग्रह की लेखिका ,मुट्ठी भर अक्षर,खुसरो दरिया प्रेम का , आईना सच नही बोलता हाशिये का हक़ ,मूड्स ऑफ लॉक डाउन , लुका छिपी, मृगतृष्णा की संपादक ओर लेखक
प्रेम की उत्कटता दुरीयों को पाट देती है। यह अजीब और आश्चर्यजनक नहीं है कि हज़ारो मिल की दुरी पर एक पहाड़ी शहर में छूट हुई पत्नी या प्रेमिका अपने प्रेमी की मनःस्थिति का सही सही अंदाज़ा लगा लेती है। वह क्या और कितनी शिद्दत से महसूस कर रहा है , उसे भी महसूस कर लेती है। अद्भुत प्रेम की यह अनोखी तन्मयता अद्भुत है। ऐसे ही किसी प्रेम में डूब जाने का मन करने लगता है। बहुत बहुत बधाई नीलिमा जी।
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अचानक ही मेरी पुरानी यादों की बारिश
बेतरतीब से ख्याली बुद बन उकेरने को मचलने लगते है
अक्सर तेरे सिरहाने बैठने पर ऐसा होता है
वजह आज तक समझ नहीं आई
किन्तु तेरे वो सिहरन तेरी वो मासूम बच्चों वाली अदा
यादों के भवर जाल को तोड़ मुझे फिर आज में ले आती है।
तेरी वो बन्द निगाहों से ताकने की कला
काश मुझ में भी होती
यादों की कसावट को तोड़
हर एक पल में तुझमें ही डूबा रहता ।
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प्रेम की उत्कटता दुरीयों को पाट देती है। यह अजीब और आश्चर्यजनक नहीं है कि हज़ारो मिल की दुरी पर एक पहाड़ी शहर में छूट हुई पत्नी या प्रेमिका अपने प्रेमी की मनःस्थिति का सही सही अंदाज़ा लगा लेती है। वह क्या और कितनी शिद्दत से महसूस कर रहा है , उसे भी महसूस कर लेती है। अद्भुत प्रेम की यह अनोखी तन्मयता अद्भुत है। ऐसे ही किसी प्रेम में डूब जाने का मन करने लगता है। बहुत बहुत बधाई नीलिमा जी।
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अचानक ही मेरी पुरानी यादों की बारिश
बेतरतीब से ख्याली बुद बन उकेरने को मचलने लगते है
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किन्तु तेरे वो सिहरन तेरी वो मासूम बच्चों वाली अदा
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