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शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा

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शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा दिल में घर करके मेरी जान ये परदा कैसा आप मौजूद हैं हाज़िर है ये सामान-ए-निशात उज़्र सब तै हैं बस अब वादा-ए-फ़रदा कैसा तेरी आँखों की जो तारीफ़ सुनी है मुझसे घूरती ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अकबर हुस्सैन रिज़वी उपनाम : अकबर अलाहाबादी जन्म : 16 नवंबर 1846 देहावसान: 15 फरवरी 1921 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल, शायरी अकबर अलाहाबादी उर्दू व्यंग्य के अग्रणी रचनाकारों में से एक हैं, इनके काफी शेरों एवम ग़ज़लों में सामाजिक दर्द को सरल भाषा में हास्यपूर्क ढंग से उकेरा गया है। "हंगामा है क्यूं बरपा" इनकी मशहूर ग़ज़लों में से एक है

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  • कुल टिप्पणी
  • author
    vishal bhute "Vishu"
    26 मई 2018
  • author
    Ashish Anand "Anand"
    14 दिसम्बर 2016
    माशाअल्लाह बेहतरीन लिखा है ,'अकबर इलाहाबादी' साहब ने ...
  • author
    Neelima Sahu "Niharika"
    09 अप्रैल 2018
    🙊speechless
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  • author
    vishal bhute "Vishu"
    26 मई 2018
  • author
    Ashish Anand "Anand"
    14 दिसम्बर 2016
    माशाअल्लाह बेहतरीन लिखा है ,'अकबर इलाहाबादी' साहब ने ...
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    Neelima Sahu "Niharika"
    09 अप्रैल 2018
    🙊speechless