pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शगुन

3.3
1856

संगीता दीदी अब आपके यहाँ आये हैं तो आपकी ननद के बच्चों को भी मिल कर ही जायेंगे।आप उनको संदेश भिजवा दो कि हम लोग आए हैं छुट्टियों में “ माया बहुत खुश थी कि चलो यहाँ आने के बहाने उन प्यारे से ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

श्रीमती अमिता गुप्ता मगोत्रा, पंजाब की बेटी और जम्मू की बहू, अपने पति श्री रंजन मगोत्रा जी और बेटी के साथ मोहाली पंजाब में रहती हैं और गत कई वर्षों से लेखन कार्य में संलग्न हैं, वाणिज्य में स्नात्कोत्तर ग्रहण करने के पश्चात् कई वर्ष कॉर्पोरेट क्षेत्र में बिताये, तत्पश्चात अबेकस एजुकेशन की परिशिक्षिका होने के साथ साथ,अपना सम्पूर्ण समय घर - परिवार और लेखन को दे रही हैं | इनकी रचनाएं कईं काव्य संग्रहो में प्रकाशित हो चुकी हैं । अमलताश के शतदल, ढाई आखर प्रेम , पुष्प गंधा,यथार्थ, खुशबू ए ग़ज़ल और प्रेम काव्य सागर कुछ प्रमुख किताबें हैं जहां इनकी लेखनी ने एक अमिट छाप छोड़ी है और लेखन को समृद्ध किया है । इसके अलावा कई लेखन प्रतियोगिताएं भी जीत चुकी हैं । कविता के अलावा लघु कथाओं पर भी इनकी लेखनी का पैना पन नज़र आता है । अलग अलग साहित्यिक संस्थाओं से जुड़कर ये लेखन को और समृद्ध करने में संलग्न हैं । कई पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएं छपती रहती हैं। राष्ट्रीय महिला काव्य मंच चंडीगढ़ इकाई की अध्यक्षा हैं। फेसबुक पर अमलताश के शतदल ग्रुप की एडमिन हैं। इनका एक फेसबुक पेज amitaranjanpoems के नाम से प्रचलित है।प्रकृति से इनको बहुत प्रेम है । इनके अन्य शौक पेंटिंग करना, संगीत सुनना है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditya Dubay
    23 मई 2021
    कहानी में स्पष्टता का बहुत आभाव हैं।
  • author
    Seema Tikkha
    10 जनवरी 2024
    Bahut Sundar
  • author
    Vijaykant Verma
    19 अप्रैल 2019
    बहुत अच्छी लघुकथा..
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditya Dubay
    23 मई 2021
    कहानी में स्पष्टता का बहुत आभाव हैं।
  • author
    Seema Tikkha
    10 जनवरी 2024
    Bahut Sundar
  • author
    Vijaykant Verma
    19 अप्रैल 2019
    बहुत अच्छी लघुकथा..