pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शादी की पच्चीसवीं सालगिरह

4.4
10939

घर का दरवाज़ा खोलते ही हमें अपने थके होने का एहसास हुआ,क्यूंकि ,जश्न से भरी शाम में मौज मस्ती करते हुए , हमें थकान महसूस ही नहीं हुआ था। हम अपनी चचेरी बहन चुनचुन दीदी की शादी की पच्चीसवी सालगिरह मना ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Charanjeet Kaur
    23 अक्टूबर 2018
    मज़ा आ गया सराहनीय
  • author
    Kamlesh Patni
    26 अक्टूबर 2020
    बहुतसही कहा है आपने।कभी कभी कुछ समय और पैसा अपने लिए भी अवश्य खर्च करना चाहिए।जिंदगी के गिले शिकवे दूर हो जाते हैं।फिर से नवजीवन का एहसास होने लगता है।यल जिंदगी दोबारा न मिलेगी।
  • author
    Shipra Sah
    07 नवम्बर 2020
    very nice and bilkul sahi ki insaan jisko pane k liye duniya ko bhul jata h aur jb use paa le to fir sari duniyadari samajh aa jati h
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Charanjeet Kaur
    23 अक्टूबर 2018
    मज़ा आ गया सराहनीय
  • author
    Kamlesh Patni
    26 अक्टूबर 2020
    बहुतसही कहा है आपने।कभी कभी कुछ समय और पैसा अपने लिए भी अवश्य खर्च करना चाहिए।जिंदगी के गिले शिकवे दूर हो जाते हैं।फिर से नवजीवन का एहसास होने लगता है।यल जिंदगी दोबारा न मिलेगी।
  • author
    Shipra Sah
    07 नवम्बर 2020
    very nice and bilkul sahi ki insaan jisko pane k liye duniya ko bhul jata h aur jb use paa le to fir sari duniyadari samajh aa jati h