घर का दरवाज़ा खोलते ही हमें अपने थके होने का एहसास हुआ,क्यूंकि ,जश्न से भरी शाम में मौज मस्ती करते हुए , हमें थकान महसूस ही नहीं हुआ था। हम अपनी चचेरी बहन चुनचुन दीदी की शादी की पच्चीसवी सालगिरह मना ...
बहुतसही कहा है आपने।कभी कभी कुछ समय और पैसा अपने लिए भी अवश्य खर्च करना चाहिए।जिंदगी के गिले शिकवे दूर हो जाते हैं।फिर से नवजीवन का एहसास होने लगता है।यल जिंदगी दोबारा न मिलेगी।
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