लिखने को वैसे बहुत कुछ है पर कलम में स्याही नहीं..!! लिख लेते हम भी खूब गज़ले पर आजकल वो पढ़ते नहीं..!! शायरी में हमारी अब बातें वो पहली जैसी होती नहीं..!! क्या करें हम कोई बताए कविता अब मेरी बनती ...
लिखने को वैसे बहुत कुछ है पर कलम में स्याही नहीं..!! लिख लेते हम भी खूब गज़ले पर आजकल वो पढ़ते नहीं..!! शायरी में हमारी अब बातें वो पहली जैसी होती नहीं..!! क्या करें हम कोई बताए कविता अब मेरी बनती ...