pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शादी ही भली

4.1
7638

संजीव के ऑफिस जाते ही रीना पलँग पर पसर गई। सर बुरी तरह से घूम रहा था। आज वह ऑफिस भी नहीं गयी थी इसीलिए। चाय का एक गर्म प्याला हाथ मे लेकर वह अपने बारे में सोचने लगी। चार साल से वह और संजीव 'लिव ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Smriti Prakash
    31 मार्च 2021
    बिल्कुल ही बेवकूफी की कहानी है, अपने पार्टनर से तो पूछती कि शादी करनी है या नहीं? जिस के साथ चार साल बिताए,उस को एक मिनिट में!!!!
  • author
    Abha "Abha"
    21 जुलाई 2020
    कभी कभी प्रेम की पट्टी आँखों को ही नहीं बल्कि जीवन को भी अन्धकार में ढकेल देती है। 🙁
  • author
    Jitendra Solanki
    10 दिसम्बर 2020
    वर्तमान में रिश्तो में आये आधुनिकता को दर्शाति एक सटीक रचना.. लिखते रहे
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Smriti Prakash
    31 मार्च 2021
    बिल्कुल ही बेवकूफी की कहानी है, अपने पार्टनर से तो पूछती कि शादी करनी है या नहीं? जिस के साथ चार साल बिताए,उस को एक मिनिट में!!!!
  • author
    Abha "Abha"
    21 जुलाई 2020
    कभी कभी प्रेम की पट्टी आँखों को ही नहीं बल्कि जीवन को भी अन्धकार में ढकेल देती है। 🙁
  • author
    Jitendra Solanki
    10 दिसम्बर 2020
    वर्तमान में रिश्तो में आये आधुनिकता को दर्शाति एक सटीक रचना.. लिखते रहे