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तारा ने बारह वर्ष दुर्गा की तपस्या की। न पलंग पर सोयी, न केशो को सँवारा और न नेत्रों में सुर्मा लगाया। पृथ्वी पर सोती, गेरुआ वस्त्र पहनती और रूखी रोटियाँ खाती। उसका मुख मुरझाई हुई कली की भाँति था, ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Laxmi Sati
    14 दिसम्बर 2018
    मुंशी जी का लेखन जितनी भी बार पढ़ा जाए कुछ नया ही मिलता है ।शब्द कम पड़ जाते हैं उनकी तारीफ में। नमन है उनको। लेखन जगत की अनूठी प्रतिभा आज भी जीवंत है उनके लेखन में।
  • author
    Amit Gupta
    13 दिसम्बर 2018
    chane hai to daant nahi.....daant hai to chane nahi.....aur dono hai to bhukh hi nahi....
  • author
    पवनेश मिश्रा
    11 अप्रैल 2020
    कथा सम्राट के कृतित्व को सादर नमन 🙏🌹🙏,
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    Laxmi Sati
    14 दिसम्बर 2018
    मुंशी जी का लेखन जितनी भी बार पढ़ा जाए कुछ नया ही मिलता है ।शब्द कम पड़ जाते हैं उनकी तारीफ में। नमन है उनको। लेखन जगत की अनूठी प्रतिभा आज भी जीवंत है उनके लेखन में।
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    Amit Gupta
    13 दिसम्बर 2018
    chane hai to daant nahi.....daant hai to chane nahi.....aur dono hai to bhukh hi nahi....
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    पवनेश मिश्रा
    11 अप्रैल 2020
    कथा सम्राट के कृतित्व को सादर नमन 🙏🌹🙏,