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सीख

4.5
594

आने पर माँ बाबूजी की याद चुपचाप कोने ने उन्हे बहने देना सिखाया था..... । बेटी से बड़े बहु , बीवी और माँ के रिश्ते को निभाना सिखाया था । घर का कोना कोना सहेज कर आशियां बनाना सिखाया था ....। टूट ...

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लेखक के बारे में

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एम कॉम करने के बाद , पिछले कुछ समय से लिखना शुरू किया , अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ अधूरे किस्से पूरे करती हूं , कुछ सामाजिक बुराईयों का हल ढूंढने की कोशिश भी करती हूं , जिसके माध्यम से समाज को अच्छा सन्देश दे सकूँ , हाल ही में शिकायत प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार मिलने से सकारात्मक भाव आया है , समाचार पत्रों में समय समय पर लेख , कवितायें प्रकाशित होती है , आज लेखनी में जो भी पहचान बना पाई हूँ , उसका पूरा श्रेय मेरी मां को जाता है जो अब हमारे बीच नही है अगर अच्छी लेखक बन पाऊं तो उन्हें ये मेरी सच्ची श्रद्धाजंलि होगी ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 मार्च 2019
    सच्ची सीख है,जो हर लड़की को पैदा होते ही दी जाने लगती है,अपने पराए धन को परायों को सौपने से पहले हर मां बाप ये सीखें देते हैं ताकि अपने दूसरे घर को भी लड़की अपने अपनेपन से महका सके।
  • author
    Rohit Pachisia "पिंटू"
    09 अप्रैल 2019
    5 स्टार ही दे पाया क्यों कि और स्टार नही थे। तुम्हारी ये 'सीख' अनगिनत औरतों की रोजमर्रा हैं और हां एक और बात "सीख"।।
  • author
    22 मई 2019
    बहुत ही सुन्दर है आपकी ये सीख👏👏👏👏थोड़ी कड़वी जरूर है पर सच्चाई के बिल्कुल करीब है ....अगर समय मिले तो कृपया मेरी रचना नारी तुम केवल श्रद्धा हो पर एक नज़र डालियेगा
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    13 मार्च 2019
    सच्ची सीख है,जो हर लड़की को पैदा होते ही दी जाने लगती है,अपने पराए धन को परायों को सौपने से पहले हर मां बाप ये सीखें देते हैं ताकि अपने दूसरे घर को भी लड़की अपने अपनेपन से महका सके।
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    Rohit Pachisia "पिंटू"
    09 अप्रैल 2019
    5 स्टार ही दे पाया क्यों कि और स्टार नही थे। तुम्हारी ये 'सीख' अनगिनत औरतों की रोजमर्रा हैं और हां एक और बात "सीख"।।
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    22 मई 2019
    बहुत ही सुन्दर है आपकी ये सीख👏👏👏👏थोड़ी कड़वी जरूर है पर सच्चाई के बिल्कुल करीब है ....अगर समय मिले तो कृपया मेरी रचना नारी तुम केवल श्रद्धा हो पर एक नज़र डालियेगा